1. अपने मुँह मियाँ मिट्ठू: अपने मुँह अपनी प्रशंसा करना . 2. या तो तुम अपनी प्रशंसा करना शुरू कर दो या अत्यंत विनम्र बनो। 3. या तो तुम अपनी प्रशंसा करना शुरू कर दो या अत् यंत विनम्र बनो। 4. ~ सरदार पूर्णसिंह शूर जनों को अपने मुख से अपनी प्रशंसा करना सहन नहीं होता। 5. अपने मुँह मियाँ मिट्ठू बनना-(स्वयं अपनी प्रशंसा करना )-आत्म प्रशंसा कोई सिफारिश नहीं है|( 6. अपनी प्रशंसा करना मुझे आता नही इसलिए मुझे अपने बारे में सभी मित्रों की टिप्पणियों पर कोई एतराज भी नही होता है।7. अपनी प्रशंसा करना मुझे आता नही इसलिए मुझे अपने बारे में सभी मित्रों की टिप्पणियों पर कोई एतराज भी नही होता है।8. अपनी प्रशंसा करना मुझे आता नही इसलिए मुझे अपने बारे में सभी मित्रों की टिप्पणियों पर कोई एतराज भी नही होता है।9. १. अपने मुँह मियाँ मिट्ठू बनना-(स्वयं अपनी प्रशंसा करना )-अच्छे आदमियों को अपने मुहँ मियाँ मिट्ठू बनना शोभा नहीं देता। 10. १. अपने मुँह मियाँ मिट्ठू बनना-(स्वयं अपनी प्रशंसा करना )-अच्छे आदमियों को अपने मुहँ मियाँ मिट्ठू बनना शोभा नहीं देता ।